मौत की रौशनी में सँवारा उसे
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
मौत की रौशनी में सँवारा उसे
हम ने दुल्हन बनाया दुबारा उसे
जाने किन पानियों पर रहा उस का साथ
जाने किन साहिलों पर उतारा उसे
उस से बिछड़ा तो बिछड़ा हूँ पूरी तरह
छोड़ आया हूँ सारे का सारा उसे
तब से उम्मीद बाँधे हुए है ये दिल
जब किया भी नहीं था इशारा उसे
कोई कहता था साहिल तो कोई भँवर
सब ने अपनी तरह से पुकारा उसे
जितना हम रो रहे थे बिछड़ते हुए
रंज उतना नहीं था हमारा उसे
हम ने दुल्हन बनाया दुबारा उसे
जाने किन पानियों पर रहा उस का साथ
जाने किन साहिलों पर उतारा उसे
उस से बिछड़ा तो बिछड़ा हूँ पूरी तरह
छोड़ आया हूँ सारे का सारा उसे
तब से उम्मीद बाँधे हुए है ये दिल
जब किया भी नहीं था इशारा उसे
कोई कहता था साहिल तो कोई भँवर
सब ने अपनी तरह से पुकारा उसे
जितना हम रो रहे थे बिछड़ते हुए
रंज उतना नहीं था हमारा उसे
10511 viewsghazal • Hindi