मेहमाँ घर में भरे रहे

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
मेहमाँ घर में भरे रहे
दिन-भर बिस्तर खुले रहे
मेरे लिए क्या हिज्र-ओ-विसाल
हाँ घर वाले डरे रहे


उस ने भी आवाज़ न दी
हम भी ऐसे बने रहे
इतनी कौन समझता है
मेरे दुख ही बड़े रहे


इतने साल पुराने ख़्वाब
अब तक कैसे नए रहे
छू तो लिया पर हाथ अपने
दिन-भर ढूँडे पड़े रहे


इक मा'सूम इशारे के
घर घर क़िस्से छिड़े रहे
99397 viewsghazalHindi