मिरे काग़ज़ पे हैं लफ़्ज़ों के ताबिंदा सितारे ज़मीन-ए-शेर से निकले दरख़्शंदा सितारे बिसात-ए-रफ़्तगान-ए-फ़न लपेटी जा चुकी है सर-ए-चर्ख़-ए-हुनर मौजूद हैं ज़िंदा सितारे मुक़द्दर की लकीरें खींचने वाला ख़ुदा है नहीं होते मुक़द्दर के नवीसंदा सितारे नदामत के सबब क्या मुँह दिखाएँगे सहर को कि हैं जुर्म-ए-तुनुक-ताबी पे शर्मिंदा सितारे न होंगे बै'अत-ए-शब के लिए तय्यार हरगिज़ वो मौजूदा सितारे हों कि आइंदा सितारे फ़सील-ए-वक़्त पर कंदा रहेगा नाम अपना कि हम हैं अहद-ए-हाज़िर के नुमाइंदा सितारे ज़मीं के गोशे गोशे पर नज़र रखते हैं 'यावर' जमाल-ए-सुब्ह-ए-फ़र्दा के हैं जोइंदा सितारे