मिरे काग़ज़ पे हैं लफ़्ज़ों के ताबिंदा सितारे
By yawar-azeemFebruary 15, 2022
मिरे काग़ज़ पे हैं लफ़्ज़ों के ताबिंदा सितारे
ज़मीन-ए-शेर से निकले दरख़्शंदा सितारे
बिसात-ए-रफ़्तगान-ए-फ़न लपेटी जा चुकी है
सर-ए-चर्ख़-ए-हुनर मौजूद हैं ज़िंदा सितारे
मुक़द्दर की लकीरें खींचने वाला ख़ुदा है
नहीं होते मुक़द्दर के नवीसंदा सितारे
नदामत के सबब क्या मुँह दिखाएँगे सहर को
कि हैं जुर्म-ए-तुनुक-ताबी पे शर्मिंदा सितारे
न होंगे बै'अत-ए-शब के लिए तय्यार हरगिज़
वो मौजूदा सितारे हों कि आइंदा सितारे
फ़सील-ए-वक़्त पर कंदा रहेगा नाम अपना
कि हम हैं अहद-ए-हाज़िर के नुमाइंदा सितारे
ज़मीं के गोशे गोशे पर नज़र रखते हैं 'यावर'
जमाल-ए-सुब्ह-ए-फ़र्दा के हैं जोइंदा सितारे
ज़मीन-ए-शेर से निकले दरख़्शंदा सितारे
बिसात-ए-रफ़्तगान-ए-फ़न लपेटी जा चुकी है
सर-ए-चर्ख़-ए-हुनर मौजूद हैं ज़िंदा सितारे
मुक़द्दर की लकीरें खींचने वाला ख़ुदा है
नहीं होते मुक़द्दर के नवीसंदा सितारे
नदामत के सबब क्या मुँह दिखाएँगे सहर को
कि हैं जुर्म-ए-तुनुक-ताबी पे शर्मिंदा सितारे
न होंगे बै'अत-ए-शब के लिए तय्यार हरगिज़
वो मौजूदा सितारे हों कि आइंदा सितारे
फ़सील-ए-वक़्त पर कंदा रहेगा नाम अपना
कि हम हैं अहद-ए-हाज़िर के नुमाइंदा सितारे
ज़मीं के गोशे गोशे पर नज़र रखते हैं 'यावर'
जमाल-ए-सुब्ह-ए-फ़र्दा के हैं जोइंदा सितारे
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