मेरी शोहरत न तबी'अत न ठिकाना अच्छा
By ali-tasifJune 3, 2024
मेरी शोहरत न तबी'अत न ठिकाना अच्छा
मेरे बारे में उसे कुछ न बताना अच्छा
पार तो मुझ को दु'आएँ भी लगा सकती हैं
मैं समझता हूँ मगर तैर के जाना अच्छा
घर तो कच्चे थे मगर लोग बहुत पक्के थे
अब भी लगता है वही दौर पुराना अच्छा
'अह्द-ए-रफ़्ता से मिरी जान छुड़ाने वाले
दाम-ए-फ़र्दा में नहीं मुझ को फँसाना अच्छा
वही बोहतान पुराने वही इल्ज़ाम क़दीम
दोस्तो तुम तो मुझे दो कोई ता'ना अच्छा
छूत की तरह उदासी मिरी लग जाती है
तुम बहुत ख़ुश हो कभी पास न आना अच्छा
मेरे काँधे से ये बंदूक़ हटा ले इस बार
अब लगा फिर से मिरे यार निशाना अच्छा
कौन सा इस का असर होगा मिरी हालत पर
लाख हो मेरी बला से ये ज़माना अच्छा
चुप रहा मैं तो घुटन और बढ़ेगी 'तासिफ़'
वर्ना लगता है किसे शोर मचाना अच्छा
मेरे बारे में उसे कुछ न बताना अच्छा
पार तो मुझ को दु'आएँ भी लगा सकती हैं
मैं समझता हूँ मगर तैर के जाना अच्छा
घर तो कच्चे थे मगर लोग बहुत पक्के थे
अब भी लगता है वही दौर पुराना अच्छा
'अह्द-ए-रफ़्ता से मिरी जान छुड़ाने वाले
दाम-ए-फ़र्दा में नहीं मुझ को फँसाना अच्छा
वही बोहतान पुराने वही इल्ज़ाम क़दीम
दोस्तो तुम तो मुझे दो कोई ता'ना अच्छा
छूत की तरह उदासी मिरी लग जाती है
तुम बहुत ख़ुश हो कभी पास न आना अच्छा
मेरे काँधे से ये बंदूक़ हटा ले इस बार
अब लगा फिर से मिरे यार निशाना अच्छा
कौन सा इस का असर होगा मिरी हालत पर
लाख हो मेरी बला से ये ज़माना अच्छा
चुप रहा मैं तो घुटन और बढ़ेगी 'तासिफ़'
वर्ना लगता है किसे शोर मचाना अच्छा
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