मिले जो तुम से मिला इक सुरूर क्या समझे

By aarif-nazeerAugust 7, 2024
मिले जो तुम से मिला इक सुरूर क्या समझे
हमारे दिल को हुआ है ग़ुरूर क्या समझे
उसे ये ज़िद के तुम्हें रोज़ मिलने आना है
तुम्हारा 'उज़्र दिल-ए-ना-सबूर क्या समझे


हमें भी शौक़ तो जल्वागरी का था लेकिन
हमारे हिस्से में मूसा न तूर क्या समझे
उतारा जाएगा मुझ को ज़'ईफ़ ज़ेहनों पर
थमाई जाएगी मुझ को ज़बूर क्या समझे


छुपा के सीने में अपने तुम्हारा मोम सा दिल
किया है आग का दरिया 'उबूर क्या समझे
मरज़ अना का तुम्हें लग गया अभी लेकिन
हमें भी ढूँडोगे इक दिन ज़रूर क्या समझे


तुम्हारी दीद ने बख़्शी नज़र को ताबानी
बसा है चारों तरफ़ नूर नूर क्या समझे
हमारे यार का तकिया-कलाम है 'आरिफ़'
हर एक बात पे कहना हुज़ूर क्या समझे


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