मिरे ग़ुबार भरे आइनों में रहती है

By arsalan-rathorOctober 2, 2021
मिरे ग़ुबार भरे आइनों में रहती है
वो आँख जिस के लिए रौशनी तरसती है
इस इंहिमाक से तस्वीर देखता हूँ तिरी
कि एक बार तो इस्क्रीन भी लरज़ती है


दो एक दीप से जुगनू तो आँख आँख में हैं
कहीं कहीं पे चराग़ों की सरपरस्ती है
तुम्हारे ध्यान की मीठी सी दूधिया ख़ुशबू
हयात-बख़्श है इतनी कि ऐन हस्ती है


तमाम रात पुराने दिनों की इक नागिन
समय की खिड़कियों से आ के दिल को डसती है
45394 viewsghazalHindi