मियाँ दो चार दिन की ये हमारी ज़िंदगानी है

By abdullah-minhaj-khanAugust 28, 2024
मियाँ दो चार दिन की ये हमारी ज़िंदगानी है
यहाँ ज़िंदा रहेगा कौन सब को मौत आनी है
नहीं है प्यार के लाइक़ कोई भी इस ज़माने में
मैं ख़ुद से प्यार करता हूँ मिरी भी इक कहानी है


अँधेरी क़ब्र में बन जाएगी वो नूर की क़िंदील
हमारे दिल के अंदर जो किताब-ए-आसमानी है
सफ़र में हैं सब इक मुद्दत से मंज़िल तक नहीं पहुँचे
यही सच्चाई है इस की ये दुनिया आनी-जानी है


जो उस ने जाते जाते दी थी हम को एक दिन 'मिनहाज'
हमारे पास अब भी वो मोहब्बत की निशानी है
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