मोड़ ऐसा भी मोहब्बत में कभी आएगा
By sapna-jainFebruary 29, 2024
मोड़ ऐसा भी मोहब्बत में कभी आएगा
दिल में रहता है जो वो दिल से उतर जाएगा
यूँ तो हर ज़ख़्म मिरा सूख चुका है लेकिन
याद के अब्र जो बरसे तो उभर आएगा
साथ रह जाएँगे यादों के नुकीले काँटे
मौसम-ए-वस्ल तो लम्हों में गुज़र जाएगा
खिल कभी पाएगी क्या दिल की कली दोबारा
क्या ये सहरा कभी गुलशन में बदल पाएगा
हम हमेशा की तरह उस का यक़ीं कर लेंगे
वो हमेशा की तरह हम से मुकर जाएगा
दिल में रहता है जो वो दिल से उतर जाएगा
यूँ तो हर ज़ख़्म मिरा सूख चुका है लेकिन
याद के अब्र जो बरसे तो उभर आएगा
साथ रह जाएँगे यादों के नुकीले काँटे
मौसम-ए-वस्ल तो लम्हों में गुज़र जाएगा
खिल कभी पाएगी क्या दिल की कली दोबारा
क्या ये सहरा कभी गुलशन में बदल पाएगा
हम हमेशा की तरह उस का यक़ीं कर लेंगे
वो हमेशा की तरह हम से मुकर जाएगा
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