मुद्दतों बा'द कहीं ऐसी घटा छाई थी

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
मुद्दतों बा'द कहीं ऐसी घटा छाई थी
प्यास की धुंध फिर आँखों पे उतर आई थी
फ़ैसले अपने ज़माने पे कभी मत छोड़ो
मैं ने ये बात उसे पहले ही समझाई थी


हैरती हूँ कि वो इतना भी निभा पाया मुझे
उस की जिस तरह के लोगों से शनासाई थी
'इश्क़ इस दर्जा किताबी भी नहीं हो सकता
वो दिखावे वो अदाकारी ही सच्चाई थी


कोई मा'मूल में तब्दीली नहीं थी लेकिन
घर में कुछ आज 'अजब तरह की तन्हाई थी
79450 viewsghazalHindi