मुझे रुलाते हैं ख़ुद मुस्कुराए जाते हैं

By nazeer-mohammad-arzu-jaipuriMay 8, 2022
मुझे रुलाते हैं ख़ुद मुस्कुराए जाते हैं
हँसी हँसी में वो मुझ को मिटाए जाते हैं
ये उन की बज़्म है क्या काम शम-ए-सोज़ाँ का
यहाँ चराग़ नहीं दिल जाए जाते हैं


कुछ इस क़दर हमें मजबूर कर दिया दिल ने
कि बार बार वहाँ बिन बुलाए जाते हैं
ये किस को देख लिया कौन जल्वा-फ़रमा है
कि मेरे क़ल्ब-ओ-नज़र जगमगाए जाते हैं


शबाब कहते हैं किस को सुकून शय क्या है
ये क़िस्से रोज़ मुझे क्यों सुनाए जाते हैं
वो ख़ुश-नसीब हैं कितने जहान-ए-उल्फ़त में
जो बज़्म-ए-नाज़ में उन की बुलाए जाते हैं


जो बच रहे थे हवादिस के तुंद झोंके से
वो चार तिनके भी मेरे जलाए जाते हैं
17337 viewsghazalHindi