मुझे रुस्वा किया इस ने इसे अब मैं सिखाऊँगा
By umar-alamMarch 1, 2024
मुझे रुस्वा किया इस ने इसे अब मैं सिखाऊँगा
मैं अब इस दिल को 'इबरत का निशाँ ऐसा बनाऊँगा
तुम्हारा 'इश्क़ तो ए'ज़ाज़ था मेरे लिए जानाँ
तुम्हारा हिज्र तो मैं 'ईद के जैसे मनाऊँगा
लिखे थे ख़ून से मैं ने जो सारे ख़त मोहब्बत में
निकालूँगा किताबों से सर-ए-महफ़िल जला दूँगा
सर-ए-महफ़िल किया रुस्वा जुदा मुझ से किया मुझ को
सितम ऐ 'इश्क़ सब तेरे ख़ुदा को मैं बताऊँगा
मिटा दूँगा मोहब्बत से ये नफ़रत दुश्मनी सारी
मैं अब इस 'ईद दुश्मन को गले अपने लगाऊँगा
मैं अब इस दिल को 'इबरत का निशाँ ऐसा बनाऊँगा
तुम्हारा 'इश्क़ तो ए'ज़ाज़ था मेरे लिए जानाँ
तुम्हारा हिज्र तो मैं 'ईद के जैसे मनाऊँगा
लिखे थे ख़ून से मैं ने जो सारे ख़त मोहब्बत में
निकालूँगा किताबों से सर-ए-महफ़िल जला दूँगा
सर-ए-महफ़िल किया रुस्वा जुदा मुझ से किया मुझ को
सितम ऐ 'इश्क़ सब तेरे ख़ुदा को मैं बताऊँगा
मिटा दूँगा मोहब्बत से ये नफ़रत दुश्मनी सारी
मैं अब इस 'ईद दुश्मन को गले अपने लगाऊँगा
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