मुख़्तसर से मुख़्तसर ये इश्क़ का अंजाम है

By nazeer-mohammad-arzu-jaipuriMay 8, 2022
मुख़्तसर से मुख़्तसर ये इश्क़ का अंजाम है
हर तमन्ना मुज़्तरिब हर आरज़ू नाकाम है
बंद आँखें देख कर वक़्त-ए-सहर हैराँ न हो
अब तो बीमार-ए-मोहब्बत को सहर भी शाम है


देखना बीमार-ए-ग़म ने चुपके चुपके क्या कहा
हाल-ए-दिल कुछ कह रहा है या किसी का नाम है
मेरी हस्ती पैकर-ए-इबरत है आलम के लिए
मेरी बर्बादी मोहब्बत का खुला अंजाम है


मेरा जज़्ब-ए-इश्क़ आख़िर मेरा जज़्ब-ए-इश्क़ है
हुस्न को नीचा दिखा दूँ जब तो मेरा नाम है
क्यों नहीं देती जवाब उन को निगाह-ए-इल्तिफ़ात
मुझ पे क्यों आख़िर सुकून-ए-क़ल्ब का इल्ज़ाम है


देखना तशरीफ़ लाते हैं जनाब-ए-‘आरज़ू’
हाथ में शीशा बग़ल में इक सुबू-ए-ख़ाम है
56859 viewsghazalHindi