मुमकिन है गर तो सारे का सारा उठा के भाग

By tasnim-abbas-quraishiMarch 1, 2024
मुमकिन है गर तो सारे का सारा उठा के भाग
वर्ना खंडर से याद का मलबा उठा के भाग
पूरा उठा के भाग या आधा उठा के भाग
अब आ गया है तो ग़म-ए-दुनिया उठा के भाग


कोई ज़माना आया नहीं है किसी को रास
बेहतर यही है अपना ज़माना उठा के भाग
ढूँडे से भी मिलेगा तमाशाई कब यहाँ
क़हत-उर-रिजाल में तू तमाशा उठा के भाग


तिश्ना-लबी का अब जो गिला कर रहा है दोस्त
किस ने कहा था सर पे तू सहरा उठा के भाग
मंज़िल तिरे नसीब में लिक्खी नहीं गई
रस्ता ही दस्तयाब है रस्ता उठा के भाग


'तसनीम' आख़िरश तुझे बनना है रिज़्क़-ए-ख़ाक
फ़िलहाल अपने हिस्से का दाना उठा के भाग
16331 viewsghazalHindi