मुँह जो देखे आईना गर काँच का
By aajiz-hengan-ghatiApril 20, 2024
मुँह जो देखे आईना गर काँच का
मुस्कुरा उठ्ठे मुक़द्दर काँच का
भूल जाऊँगा मैं अपने आप को
'अक्स पहचानेगा जो हर काँच का
पत्थरों का है नसीबा औज पर
ले गई तहज़ीब झूमर काँच का
हाथ से बच्चे के पत्थर छीन लो
आदमी है मेरे अंदर काँच का
वाईपर के रक़्स से 'आजिज़' उसे
फ़ैज़ पहुँचा ज़िंदगी भर काँच का
मुस्कुरा उठ्ठे मुक़द्दर काँच का
भूल जाऊँगा मैं अपने आप को
'अक्स पहचानेगा जो हर काँच का
पत्थरों का है नसीबा औज पर
ले गई तहज़ीब झूमर काँच का
हाथ से बच्चे के पत्थर छीन लो
आदमी है मेरे अंदर काँच का
वाईपर के रक़्स से 'आजिज़' उसे
फ़ैज़ पहुँचा ज़िंदगी भर काँच का
15990 viewsghazal • Hindi