न सुनती है न कहना चाहती है

By manzoor-hashmiNovember 5, 2020
न सुनती है न कहना चाहती है
हवा इक राज़ रहना चाहती है
न जाने क्या समाई है कि अब की
नदी हर सम्त बहना चाहती है


सुलगती राह भी वहशत ने चुन ली
सफ़र भी पा-बरहना चाहती है
तअल्लुक़ की अजब दीवानगी है
अब उस के दुख भी सहना चाहती है


उजाले की दुआओं की चमक भी
चराग़-ए-शब में रहना चाहती है
भँवर में आँधियों में बादबाँ में
हवा मसरूफ़ रहना चाहती है


65623 viewsghazalHindi