न ग़म है शादमानी में न ग़म में शादमानी है

By nazeer-mohammad-arzu-jaipuriMay 8, 2022
न ग़म है शादमानी में न ग़म में शादमानी है
ये मेरा मुख़्तसर क़िस्सा है ये मेरी कहानी है
तुम्हारी याद को कैसे मैं अपने से जुदा कर दूँ
ये मेरे ख़ानमाँ-बर्बाद दिल की इक निशानी है


मुझे ताकीद है नक़्श-ए-क़दम पर सज्दे करने की
मिरी बिगड़ी हुई क़िस्मत उन्हें शायद बनानी है
बस इक तस्वीर-ए-नातिक़ हूँ तिलिस्म-ए-एतिबारी में
न मैं हूँ ज़िंदगानी का न मेरी ज़िंदगानी है


वफ़ादारी का मतलब भी समझ लोगे ज़रा ठहरो
अभी नाम-ए-ख़ुदा कमसिन हो आग़ाज़-ए-जवानी है
अदू का नाम सुनते ही ये तुम क्यों सहमे जाते हो
मुझे कोई शिकायत है न कोई बद-गुमानी है


न कर अर्ज़-ए-तमन्ना 'आरज़ू' क्या तू नहीं वाक़िफ़
कभी उस जौर-परवर ने किसी की बात मानी है
19155 viewsghazalHindi