न जाने क्यों गुमाँ ये हो रहा है

By sapna-jainFebruary 29, 2024
न जाने क्यों गुमाँ ये हो रहा है
बिछड़ कर मुझ से वो भी रो रहा है
मैं जितना चाहती हूँ दूर जाना
वो उतना पास मेरे हो रहा है


जो देता था कभी फूलों के तोहफ़े
वही अब रह में काँटे बो रहा है
मिरे जीवन में तुम आए हो जब से
मिरा हर ख़्वाब पूरा हो रहा है


कोई डूबा हुआ है क़हक़हों में
कोई पर्वत दुखों के ढो रहा है
27782 viewsghazalHindi