न जाने उस के कितने ही सहारे साथ रहते हैं
By nazar-dwivediFebruary 27, 2024
न जाने उस के कितने ही सहारे साथ रहते हैं
वो पाता मंज़िलें जिस के सितारे साथ रहते हैं
चले जाओ कहीं लेकिन अकेले तुम नहीं होते
यक़ीं मानो वहाँ हम भी तुम्हारे साथ रहते हैं
कहाँ चूहा कहाँ बिल्ली कहाँ कुत्ता कहाँ पंछी
मुसीबत जब पड़ी हो तो ये सारे साथ रहते हैं
फ़लक तुम हो ज़मीं हम हैं नहीं मुमकिन कभी मिलना
नदी के भी कहाँ दोनों किनारे साथ रहते हैं
मनाज़िर वो भी दिखते हैं जिन्हें हो देखना मुश्किल
कहाँ ख़ुश-रंग हर दम ही नज़ारे साथ रहते हैं
न समझाओ वतन की तुम तरक़्क़ी का इन्हें मतलब
ये बस्ती है जहाँ क़िस्मत के मारे साथ रहते हैं
अकेले हम रहें फिर भी 'नज़र' तन्हा नहीं होते
तुम्हारे ख़्वाबों के साए हमारे साथ रहते हैं
वो पाता मंज़िलें जिस के सितारे साथ रहते हैं
चले जाओ कहीं लेकिन अकेले तुम नहीं होते
यक़ीं मानो वहाँ हम भी तुम्हारे साथ रहते हैं
कहाँ चूहा कहाँ बिल्ली कहाँ कुत्ता कहाँ पंछी
मुसीबत जब पड़ी हो तो ये सारे साथ रहते हैं
फ़लक तुम हो ज़मीं हम हैं नहीं मुमकिन कभी मिलना
नदी के भी कहाँ दोनों किनारे साथ रहते हैं
मनाज़िर वो भी दिखते हैं जिन्हें हो देखना मुश्किल
कहाँ ख़ुश-रंग हर दम ही नज़ारे साथ रहते हैं
न समझाओ वतन की तुम तरक़्क़ी का इन्हें मतलब
ये बस्ती है जहाँ क़िस्मत के मारे साथ रहते हैं
अकेले हम रहें फिर भी 'नज़र' तन्हा नहीं होते
तुम्हारे ख़्वाबों के साए हमारे साथ रहते हैं
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