न मुझ को चैन आवे है न मुझ को नींद ही आवे

By aftab-shahNovember 28, 2024
न मुझ को चैन आवे है न मुझ को नींद ही आवे
सजन की दे ख़बर कोई कोई तो उस तरफ़ जावे
तिरे हँसने पे दिल अपना तिरी जानिब खिचा जावे
तिरे रोने पे दिल तड़पे 'अजब सी तिश्नगी छावे


बताऊँ क्या मैं लोगों को तिरे देखे से क्या होवे
जो तुझ को देख ले साहिब वो जन्नत का मज़ा पावे
जलन रहती है सीने में उसे कह दो सदा दे दे
कोई तो यार के कूचे से थोड़ी दिलबरी लावे


ये दिल काहे को तेरी याद में जल जल के धड़के है
ये काहे नाम ले तेरा ये क्यूँकर रोग है खावे
सजन की भोली बाताँ से गुमाँ होवे है कोयल का
सजन की भूरी अखियाँ में पपीहा गीत है गावे


मिलन की बात करने पर हया मुखड़े को खा जाए
सिमटती जाए लाजाँ से दिलाँ पर बर्क़ है ढावे
तिरी सोचां की भँवरां में कोई रस्ता नहीं मिलता
सफ़र ये बोझ लागे है मोहब्बत ख़ून है तावे


तू संगत है बहारों की दिलाँ के चाँद तारों की
तू रानी है मिरे दिल की न दिल को अब कोई भावे
59768 viewsghazalHindi