न सय्यद में न मिर्ज़ा में न अंसारी में रक्खी है

By mazhar-mujahidiJanuary 18, 2022
न सय्यद में न मिर्ज़ा में न अंसारी में रक्खी है
बशर की शख़्सियत उस की समझदारी में रक्खी है
मैं घर आ कर ज़माने की थकन सब भूल जाता हूँ
अजब राहत मिरी बच्ची की किलकारी में रक्खी है


कभी ग़ैरों पे उँगली मत उठा ऐ रहबरान-ए-मुल्क
तबाही देश की अपनों की ग़द्दारी में रक्खी है
ग़रीबी का गिला करके तू अपनी क़द्र मत खोना
बका-ए-अज़्मत-ए-नादार ख़ुद्दारी में रक्खी है


बदन जल जाएगा 'मज़हर' इन्हें छूने की हसरत में
ग़ज़ब की आग इन फूलों की चिंगारी में रखी है
99217 viewsghazalHindi