न सुर न ताल न ये साज़ से ही रौशन हैं
By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
न सुर न ताल न ये साज़ से ही रौशन हैं
हमारे सीने तो अल्फ़ाज़ से ही रौशन हैं
लगी हैं आँखें तिरे जिस्म के हर इक तिल पर
ये ख़ुश-नसीब तिरे राज़ से ही रौशन हैं
बग़ावतों के ये पैग़ाम्बर रहें आबाद
अँधेरी रात के आग़ाज़ से ही रौशन हैं
तिरे बदन में ख़ज़ाने हैं सब म'आनी के
अगरचे लम्स के ए'जाज़ से ही रौशन हैं
चमक बताने लगी है किसी के शे'रों की
तिरी निगाह-ए-सुख़न-साज़ से ही रौशन हैं
हमारे सीने तो अल्फ़ाज़ से ही रौशन हैं
लगी हैं आँखें तिरे जिस्म के हर इक तिल पर
ये ख़ुश-नसीब तिरे राज़ से ही रौशन हैं
बग़ावतों के ये पैग़ाम्बर रहें आबाद
अँधेरी रात के आग़ाज़ से ही रौशन हैं
तिरे बदन में ख़ज़ाने हैं सब म'आनी के
अगरचे लम्स के ए'जाज़ से ही रौशन हैं
चमक बताने लगी है किसी के शे'रों की
तिरी निगाह-ए-सुख़न-साज़ से ही रौशन हैं
97109 viewsghazal • Hindi