न ये मुमकिन कि अपने दर्द को तहलील कर दूँ

By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
न ये मुमकिन कि अपने दर्द को तहलील कर दूँ
न ये मुमकिन कि उस बेदर्द को तब्दील कर दूँ
मैं आँखों में इक ऐसी नींद लाना चाहता हूँ
जिसे देखूँ उसे इक ख़्वाब में तब्दील कर दूँ


ये सारा शह्र आप अपनी हवा में ही बिखर जाए
अगर अपनी तरफ़ से मैं ज़रा सी ढील कर दूँ
मुझे तन्हाई ने इतना ज़ियादा कर दिया है
जहाँ चाहूँ वहीं इक अंजुमन तश्कील कर दूँ


मिरे बस में नहीं है वर्ना ता-रोज़-ए-क़यामत
मैं इस दुनिया के दफ़्तर में अभी ता'तील कर दूँ
अभी मस ही हुए हैं तेरे होंठों से मिरे होंठ
इजाज़त हो तो इस इज्माल की तफ़्सील कर दूँ


99801 viewsghazalHindi