नए जहान का दर बाज़ करने वाली है

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
नए जहान का दर बाज़ करने वाली है
ये रूह जिस्म से पर्वाज़ करने वाली है
चराग़ भी मिरे हाथों में आ के ख़ुश हैं बहुत
हवा भी मुझ पे बहुत नाज़ करने वाली है


जो लोग जानते हैं मुझ को वो समझते हैं
मिरी ख़मोशी भी आवाज़ करने वाली है
वो आँख चुप है हमेशा से फिर भी लगता है
कि जैसे अब सुख़न आग़ाज़ करने वाली है


हवा-ए-शाम कि करती थी इज्तिनाब बहुत
सुना है अब मुझे हमराज़ करने वाली है
जो एक नहर गुज़रती है शह्र-ए-दिल से 'जमाल'
कभी वो ख़ुश कभी नाराज़ करने वाली है


97862 viewsghazalHindi