नए तर्ज़ का मिरे साथ आप ने छल किया

By bilal-sabirMarch 1, 2024
नए तर्ज़ का मिरे साथ आप ने छल किया
मिरे बा'द मेरे कहे हुए पे 'अमल किया
तिरे बा'द ख़ुद को सँवारने में लगे हैं हम
तिरी याद में तो न राएगाँ कोई पल किया


ऐ कहीं से टूट के आए शख़्स ख़ुदा ने ही
मिरी शक्ल में तुझे पेश सब्र का फल किया
अभी उस की वज्ह-ए-ग़ज़ल हुए हैं 'बिलाल' हम
किसी वक़्त में जिसे हम ने वज्ह-ए-ग़ज़ल किया


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