नगीन लगता हूँ मैं दिल-नशीन लगता हूँ

By aftab-shahNovember 28, 2024
नगीन लगता हूँ मैं दिल-नशीन लगता हूँ
वो देख ले जो मुझे मैं हसीन लगता हूँ
ख़रीद ले वो अगर कुछ कहीं भी सस्ते में
मैं दिल की बस्ती में बिकती ज़मीन लगता हूँ


वो आबजू सी अगर रुख़ करे मिरी जानिब
मैं पानियों के जहाँ का मकीन लगता हूँ
वो रौशनी जो मुझे रोक ले कहीं तन्हा
मैं रात ओढ़ के चंदे जबीन लगता हूँ


वो देखते ही मिरा नाम बोल दे जो कहीं
मैं उस के लफ़्ज़ से आ'ला-तरीन लगता हूँ
वो मोरनी सी मुझे जब ज़हीन कहती है
मैं अपने आप में ख़ुद को फ़तीन लगता हूँ


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