नहीं अब कोई ख़्वाब ऐसा तिरी सूरत जो दिखलाए

By khalilur-rahman-azmiFebruary 27, 2024
नहीं अब कोई ख़्वाब ऐसा तिरी सूरत जो दिखलाए
बिछड़ कर तुझ से किस मंज़िल पे हम तन्हा चले आए
अभी तक याद आते हैं कुछ ऐसे अजनबी चेहरे
जिन्हें देखे कोई तो देख कर तकता ही रह जाए


ये सच है एक ज़हर-ए-ग़म ही आया अपने हिस्से में
मगर ये ज़ह्र पी कर भी न हम जीने से बाज़ आए
इसी के वास्ते मत पूछ क्या क़ीमत अदा की है
मगर है कौन जो टूटे हुए इस दिल को अपनाए


इसी उम्मीद पर ज़िंदा है ये ज़ौक़-ए-सुख़न-गोई
कि आने वाली दुनिया शायद इन शे'रों को दोहराए
अधूरे ही सही ये नक़्श फिर भी छोड़े जाते हैं
कि इस तस्वीर में शायद कोई अपना निशाँ पाए


78892 viewsghazalHindi