नहीं मिलते वो अब तो क्या बात है

By ahmad-hamdaniMay 24, 2024
नहीं मिलते वो अब तो क्या बात है
यहाँ ख़ुद से भी कब मुलाक़ात हे
तिरे ध्यान के सब उजाले गए
बस अब हम हैं और दुख भरी रात है


हमारी तरफ़ भी कभी इक निगाह
हमें भी बहुत नश्शा-ए-ज़ात है
सुलगता हुआ दिन जो कट भी गया
तो फिर आँच देती हुई रात है


शिकायत किसी से तो क्या थी मगर
गिला एक रस्म-ए-ख़राबात है
नया दुख तो मिलता है किस को यहाँ
मगर ग़म की हर शब नई रात है


हर इक शाम ताज़ा उमीद-ए-विसाल
हर इक रोज़ रोज़-ए-मुकाफ़ात है
61396 viewsghazalHindi