नहीं था कोई सितारा तिरे बराबर भी

By manzoor-hashmiNovember 5, 2020
नहीं था कोई सितारा तिरे बराबर भी
हुआ ग़ुरूब तिरे साथ तेरा मंज़र भी
पिघलते देख रहे थे ज़मीं पे शोले को
रवाँ था आँख से अश्कों का इक समुंदर भी


कहीं वो लफ़्ज़ में ज़िंदा कहीं वो यादों में
वो बुझ चुका है मगर है अभी मुनव्वर भी
अजब घुलावटें शहद-ओ-नमक की नुत्क़ में थी
वही सुख़न कि था मरहम भी और नश्तर भी


मुनाफ़िक़ों की बड़ी फ़ौज उस से डरती थी
और उस के पास न था कोई लाव-लश्कर भी
18813 viewsghazalHindi