नई ज़मीनें नए आसमाँ बनाऊँगा

By aftab-shahSeptember 5, 2024
नई ज़मीनें नए आसमाँ बनाऊँगा
दरीदा 'अह्द में अपना जहाँ बनाऊँगा
मैं खींच कर तिरे सूरज को अपनी धरती पर
हुदूद-ए-सक़्ल में अपना ज़माँ बनाऊँगा


दरून-ए-दिल में लगाऊँगा तेरी मूरत को
फ़सील-ए-जिस्म पे तेरा मकाँ बनाऊँगा
मैं तोड़ दूँगा सभी बुत तिरे ज़माने के
शु'ऊर-ए-ज़ात से ऐसा समाँ बनाऊँगा


ख़ुतूत-ए-'इश्क़ से मैं जीत लूँगा दुनिया को
ज़मीं की गोद से दिल की कमाँ बनाऊँगा
मैं रोक दूँगा सभी ज़ुल्म इस ज़माने में
सवाद-ए-'अद्ल को ऐसा रवाँ बनाऊँगा


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