नाम लिखना है तो लिखना मिरा दीवानों में

By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
नाम लिखना है तो लिखना मिरा दीवानों में
मेरे मिलने का पता पूछना वीरानों में
ले गया जज़्बा-ए-उल्फ़त जो बयाबानों में
साफ़ सुनता हूँ सदा यार की अब कानों में


पारसा कोई है दरवेश-ओ-फ़रिश्ता कोई
मैं ही इक रह गया इंसान सा इंसानों में
दैर-ओ-का'बा में तो मिलती है मुझे नाकामी
कामयाब होता हूँ चाहत के सनम-ख़ानों में


आज हर कोई मिरी बात पे हँसता है मगर
नाम कल आएगा मेरा भी सुख़न-दानों में
तुम मुझे एक नज़र प्यार से देखो 'साक़ी'
फिर नई जान सी आ जाएगी अरमानों में


28384 viewsghazalHindi