नक़ाब रुख़ से हटा दूँ अगर इजाज़त हो

By betab-amrohviFebruary 26, 2024
नक़ाब रुख़ से हटा दूँ अगर इजाज़त हो
ये चाँद जग को दिखा दूँ अगर इजाज़त हो
कहो तो उन लब-ओ-रुख़्सार को ज़रा छू लूँ
कली कली को हटा दूँ अगर इजाज़त हो


मिरे क़रीब कोई जैसे हूर बैठी है
हुज़ूर आइना ला दूँ अगर इजाज़त हो
तुम्हारे क़दमों तले कहकशाँ के तारों का
ज़रा ये फ़र्श बिछा दूँ अगर इजाज़त हो


मचल रहा है मिरे दिल में ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा
यहीं मैं तूर बना दूँ अगर इजाज़त हो
तलब हो गर तुम्हें 'बेताब' माह-ए-ताबाँ की
फ़राज़-ए-‘अर्श झुका दूँ अगर इजाज़त हो


14179 viewsghazalHindi