नज़र नज़र से मिला कर जनाब कहते हैं
By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
नज़र नज़र से मिला कर जनाब कहते हैं
नशा इसी में है इस को शराब कहते हैं
हैं बंद होंट मगर मुस्कुरा रहे हैं वो
ज़बान-ए-‘इश्क़ में इस को जवाब कहते हैं
हर एक बात में उन का भला किया हम ने
इसी लिए तो वो हम को ख़राब कहते हैं
गरेबाँ चाक परेशान-हाल है 'साक़ी'
ये लोग फिर भी मुझे क्यों नवाब कहते हैं
नशा इसी में है इस को शराब कहते हैं
हैं बंद होंट मगर मुस्कुरा रहे हैं वो
ज़बान-ए-‘इश्क़ में इस को जवाब कहते हैं
हर एक बात में उन का भला किया हम ने
इसी लिए तो वो हम को ख़राब कहते हैं
गरेबाँ चाक परेशान-हाल है 'साक़ी'
ये लोग फिर भी मुझे क्यों नवाब कहते हैं
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