निभाया इश्क़ ने रिश्ता जो प्यास पानी का उड़ा के ले गया होश-ओ-हवास पानी का कटे शजर के सिसकते हुए से पत्तों पर दिखाई देता है चेहरा उदास पानी का शरीफ़ लोगों की आँखों में आग रख देगी पहन के निकलेगी जब वो लिबास पानी का वो ऐसे देखता रहता है मेरी आँखों में लगाने बैठा हूँ जैसे क़यास पानी का किनारे हो के खड़े शोर सुन रहे हो क्या उतर के देखो तहों में हिरास पानी का तुम्हें सँवरने की सजने की क्या ज़रूरत है चमकता रहता है रुख़ पर उजास पानी का लिपट गए हैं मिरे पाँव से सभी अफ़्लाक जो मेरे हाथ में आया गिलास पानी का इसी लिए तो मिरा सर बुलंद रहता है हमेशा अज़्म रहा मेरे पास पानी का 'नदीम' घूम के सारे जहाँ में देख लिया कोई बचा ही नहीं अब शनास पानी का