नींद अच्छी है कि कुछ ख़्वाब निकल आते हैं
By adnan-asarJanuary 18, 2025
नींद अच्छी है कि कुछ ख़्वाब निकल आते हैं
और हम हो के भी ग़र्क़ाब निकल आते हैं
रात मरने ही की तय्यारी में कट जाती है
सुब्ह फिर जीने के अस्बाब निकल आते हैं
हम जो ग़ुस्से में बिफरते हैं तो रब शाहिद है
ख़ानदानी अदब-आदाब निकल आते हैं
आसमानों की बुलंदी से हमारी जानिब
कुछ परिंदे बड़े नायाब निकल आते हैं
उस को मिलता हूँ तो अक्सर यही होता है 'असर'
जाने किस सम्त से अहबाब निकल आते हैं
और हम हो के भी ग़र्क़ाब निकल आते हैं
रात मरने ही की तय्यारी में कट जाती है
सुब्ह फिर जीने के अस्बाब निकल आते हैं
हम जो ग़ुस्से में बिफरते हैं तो रब शाहिद है
ख़ानदानी अदब-आदाब निकल आते हैं
आसमानों की बुलंदी से हमारी जानिब
कुछ परिंदे बड़े नायाब निकल आते हैं
उस को मिलता हूँ तो अक्सर यही होता है 'असर'
जाने किस सम्त से अहबाब निकल आते हैं
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