एक नाम ही के बाइ'स अदब है कमाल है By Ghazal << घर है पत्थर का ख़ुदा ख़ैर... न कर पाए दुश्मन भी जो दुश... >> एक नाम ही के बाइ'स अदब है कमाल है दिखता नहीं है फिर भी वो रब है कमाल है होते हुए भी मेरा यहाँ कुछ नहीं अज़ीज़ वो है नहीं पर उस का ये सब है कमाल है मैं ख़ाक था सो ख़ाक को फिर ख़ाक होना है ये वाक़िआ' भी दुख का सबब है कमाल है Share on: