पहले जो था वही है हाल मियाँ
By rafeeq-jabirJuly 7, 2021
पहले जो था वही है हाल मियाँ
इश्क़ को है कहाँ ज़वाल मियाँ
एक दिल ही नहीं बहुत कुछ है
जिस के लुटने का है मलाल मियाँ
रज़्म-गाह-ए-हयात में क्या क्या
काम आई है ग़म की ढाल मियाँ
आदमी वक़्त की जबीं पर है
आज सब से बड़ा सवाल मियाँ
दिल हलाक-ए-ग़म-ए-ज़माना हुआ
पड़ गया आइने में बाल मियाँ
क़ैस-ओ-फ़रहाद से न दो तश्बीह
आप अपनी हूँ मैं मिसाल मियाँ
इक यही रौश्नी-ए-तब्अ' तो है
मेरी पूँजी मिरी मनाल मियाँ
इस ग़म-ए-ज़ीस्त के तलातुम में
क्या फ़िराक़ और क्या विसाल मियाँ
कब हुआ हम से बे-कुलाहों का
कज-कुलाहों से इत्तिसाल मियाँ
हम क़लंदर हैं हम से मत उलझो
आ गया गर कहीं जलाल मियाँ
सच है 'जाबिर' का दम ग़नीमत है
अब कहाँ ऐसे ख़ुश-मक़ाल मियाँ
इश्क़ को है कहाँ ज़वाल मियाँ
एक दिल ही नहीं बहुत कुछ है
जिस के लुटने का है मलाल मियाँ
रज़्म-गाह-ए-हयात में क्या क्या
काम आई है ग़म की ढाल मियाँ
आदमी वक़्त की जबीं पर है
आज सब से बड़ा सवाल मियाँ
दिल हलाक-ए-ग़म-ए-ज़माना हुआ
पड़ गया आइने में बाल मियाँ
क़ैस-ओ-फ़रहाद से न दो तश्बीह
आप अपनी हूँ मैं मिसाल मियाँ
इक यही रौश्नी-ए-तब्अ' तो है
मेरी पूँजी मिरी मनाल मियाँ
इस ग़म-ए-ज़ीस्त के तलातुम में
क्या फ़िराक़ और क्या विसाल मियाँ
कब हुआ हम से बे-कुलाहों का
कज-कुलाहों से इत्तिसाल मियाँ
हम क़लंदर हैं हम से मत उलझो
आ गया गर कहीं जलाल मियाँ
सच है 'जाबिर' का दम ग़नीमत है
अब कहाँ ऐसे ख़ुश-मक़ाल मियाँ
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