पानी में कंकर बरसाया करते थे

By saurabh-shekharMay 17, 2024
पानी में कंकर बरसाया करते थे
वो दिन जब हम लम्हे ज़ाया करते थे
होड़ हवा से अक्सर लगती थी अपनी
अक्सर उस को धूल चटाया करते थे


देख के हम को राहगुज़र मुस्काती थी
पेड़ भी आगे बढ़ कर छाया करते थे
धूप बटोरा करते थे हम सारा दिन
शाम को बाँट के घर ले जाया करते थे


आज घटा अफ़्सुर्दा करती है हम को
हम बारिश में ख़ूब नहाया करते थे
एक यही हम देखें सब ख़ामोशी से
एक यही हम शोर मचाया करते थे


'सौरभ' शब थी एक वरक़ सादा जिस पर
लिख लिख कर हम ख़्वाब मिटाया करते थे
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