फैली हुई है रात चिमट जाना चाहिए
By salim-saleemFebruary 28, 2024
फैली हुई है रात चिमट जाना चाहिए
अब अपने अंदरूँ में सिमट जाना चाहिए
ये रिश्ता-हा-ए-ख़्वाब है बस अपने दरमियाँ
इस रिश्ता-हा-ए-ख़्वाब को कट जाना चाहिए
दीवार उठा रहा है कोई अपने जिस्म पर
तो क्या मुझे भी ख़ानों में बट जाना चाहिए
तक़्सीम हो के और ज़ियादा हुआ है वो
बढ़ने से पहले हम को भी घट जाना चाहिए
ख़ाकी हैं हम सो ख़ाक की पर्दाख़्त के लिए
उस मलबा-ए-निगाह से पट जाना चाहिए
अब अपने अंदरूँ में सिमट जाना चाहिए
ये रिश्ता-हा-ए-ख़्वाब है बस अपने दरमियाँ
इस रिश्ता-हा-ए-ख़्वाब को कट जाना चाहिए
दीवार उठा रहा है कोई अपने जिस्म पर
तो क्या मुझे भी ख़ानों में बट जाना चाहिए
तक़्सीम हो के और ज़ियादा हुआ है वो
बढ़ने से पहले हम को भी घट जाना चाहिए
ख़ाकी हैं हम सो ख़ाक की पर्दाख़्त के लिए
उस मलबा-ए-निगाह से पट जाना चाहिए
80740 viewsghazal • Hindi