फिर ख़याबाँ बाद शबनम देखिए फ़ौरन खुला

By abaan-asif-kachkarApril 22, 2024
फिर ख़याबाँ बाद शबनम देखिए फ़ौरन खुला
नासेहा तो दोस्ती की विर्द पर दुश्मन खुला
हश्र तक फ़िरऔन को मिट्टी नकारे यार सुन
खुल गया खुलता नहीं था आख़िरश मुर्दन खुला


शेफ़्ता का ख़ंद-ए-नीमा आस्तान-ए-इश्क़ पर
जब खुलाए दिल ब-दस्त-ए-दिल खुला तन-मन खुला
एतिमादों का तसव्वुर झूटे शेवे हर जगह
टुक छुपी दीवाना-वारी टुक दिवाना-पन खुला


रफ़्तगान-ए-बे-कसी उफ़्ताद पा मिस्मार पा
मिस्ल-ए-ज़िंदाँ आज फिर इस ग़ार से रहज़न खुला
ली चिलम अज़ खींच कर ख़दशे से अंदोह-ओ-अलम
मुँह जला पत्ती जली शब-ता-सहर ईंधन खुला


नाला-ए-बैरून से जा कर हमारी छत खुली
हैफ़ है रख़शंदगी ताख़ीर तक रौज़न खुला
ख़ुद 'अबान' इन से कहो कह दो शिआ'र-ए-आम से
शुक्र मानो तुम ज़माने जिस पे अपना फ़न खुला


19886 viewsghazalHindi