पूछते क्या हो तुम आशुफ़्ता-सरों की हालत जैसे बरसात में हो कच्चे घरों की हालत तेरे बीमार की हालत पे ख़ुदा रहम करे आज कुछ ठीक नहीं चारागरों की हालत सर झुका देते हैं चाँदी के ख़ुदा के आगे हम से पूछे कोई इन राहबरों की हालत कोई कह दे नई तहज़ीब के मतवालों से तुम से बेहतर है मिरे जानवरों की हालत मेरी भीगी हुई आँखों की न पूछो 'शहज़र' मैं ने देखी है ग़रीबों के घरों की हालत