पुराना क़िस्सा तमाम करना पड़ेगा उस को नए तक़ाज़ों पे काम करना पड़ेगा उस को वो ख़ल्वतों में अगर किसी को पुकारता है तो अपना ऊँचा मक़ाम करना पड़ेगा उस को अगर वो ऐवान-आशिक़ी से जुड़ा है तो फिर ख़ुद अपना भी एहतिराम करना पड़ेगा उस को सब अपनी अपनी रिवायतों को भुला रहे हैं कुछ और रस्मों को आम करना पड़ेगा उस को उसी की निगरानियों में हैं अब ये बस्तियाँ भी यहाँ भी कुछ दिन क़याम करना पड़ेगा उस को वो चाहता है अगर बुलंदी बनी रहे तो हवा को अपना ग़ुलाम करना पड़ेगा उस को अगर निगाहों में आफ़ियत है तो सेहन-ए-दिल में जो कुछ है ख़्वाबों के नाम करना पड़ेगा उस को सुना है 'राहत' कोई क़यामत है आने वाली अभी से कुछ इंतिज़ाम करना पड़ेगा उस को