क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी

By aasi-uldaniApril 21, 2024
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
आशियाना ही मिरा सूरत-नुमा-ए-दाम था
वाहिमा ख़ल्लाक़ आज़ादी का हुस्न-अफ़ज़ा सुरूर
हर फ़रेब-ए-रंग का पहले गुलिस्ताँ नाम था


ज़ोफ़ आहों पर भी ग़ालिब हो चला था ऐ अजल
तू न आती तो ये मेरा आख़िरी पैग़ाम था
दीदा-ए-ख़ूँ
बे-ख़ुदी के हाथ से छूटा हुआ इक जाम था


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