क़रीब आने लगे हैं दूर के दिन

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
क़रीब आने लगे हैं दूर के दिन
वही जी हाँ हमें मंज़ूर के दिन
ग़लत औक़ात में नाज़िल हुए हम
फ़रिश्तों की हैं रातें हूर के दिन


ज़बानें काट कर समझाया उस ने
ये हैं सुल्तानी-ए-जम्हूर के दिन
वो उठते क्यों नहीं सज्दे में हैं जो
गए क्या सरमद-ओ-मंसूर के दिन


मुकम्मल छूट है नश्तर-ज़नी की
मुबारक हों नए नासूर के दिन
अकड़ते थे बहुत लो आ गए ना
नए चंगेज़ और तैमूर के दिन


मिली ईमान की मुँह माँगी क़ीमत
बड़ा मातम हुआ मसरूर के दिन
83725 viewsghazalHindi