क्या में क्या ए'तिबार मेरा ख़्वारी बस इफ़्तिख़ार मेरा नासेह बोले है यूँ कि गोया दिल पर है कुछ इख़्तियार मेरा ऐ शाह-सवार अंद-कै जोहद ज़ख़्मी है निपट शिकार मेरा टुक बचियो सबा कि हर क़दम पर उस कूचे में है ग़ुबार मेरा वो कश्ती-ए-मय दे अब के साक़ी जिस में खेवा हो पार मेरा सद-बहर दर-आस्तीं है जो अब्र वो जेब है या कनार मेरा 'क़ाएम' हूँ अगरचे हेच लेकिन क्या क्या कुछ है ए'तिबार मेरा