क़िस्सा-ए-ख़्वाब हूँ हासिल नहीं कोई मेरा

By ain-tabishMay 29, 2024
क़िस्सा-ए-ख़्वाब हूँ हासिल नहीं कोई मेरा
ऐसा मक़्तूल कि क़ातिल नहीं कोई मेरा
है बपा मुझ में 'अजब मा'रका-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ
इस लड़ाई में मुक़ाबिल नहीं कोई मेरा


बहता जाता हूँ मैं गुमनाम जज़ीरों की तरफ़
वो समुंदर हूँ कि साहिल नहीं कोई मेरा
है 'अजब बात कि दुश्मन का तरफ़-दार भी है
ऐसा लगता है कि ये दिल नहीं कोई मेरा


रोज़ देता है मिरे सामने औरों की मिसाल
और कहता है मुमासिल नहीं कोई मेरा
41846 viewsghazalHindi