क़ुर्ब के ना वफ़ा के होते हैं
By akhtar-malikMay 31, 2024
क़ुर्ब के ना वफ़ा के होते हैं
झगड़े सारे अना के होते हैं
बात निय्यत की सिर्फ़ है वर्ना
वक़्त सारे दुआ के होते हैं
भूल जाते हैं मत बुरा कहना
लोग पुतले ख़ता के होते हैं
वो ब-ज़ाहिर जो कुछ नहीं लगते
उन से रिश्ते बला के होते हैं
वो हमारा है इस तरह शायद
जैसे बंदे ख़ुदा के होते हैं
बख़्श देना भी ठीक है लेकिन
कुछ सलीक़े अता के होते हैं
कुछ को दुनिया बिखेर देती है
कुछ परेशाँ सदा के होते हैं
वो जो हस्ती में डूब जाते हैं
उन के चर्चे बला के होते हैं
उस की फ़ितरत ही ऐसी है 'अख़्तर'
जैसे तेवर हवा के होते हैं
झगड़े सारे अना के होते हैं
बात निय्यत की सिर्फ़ है वर्ना
वक़्त सारे दुआ के होते हैं
भूल जाते हैं मत बुरा कहना
लोग पुतले ख़ता के होते हैं
वो ब-ज़ाहिर जो कुछ नहीं लगते
उन से रिश्ते बला के होते हैं
वो हमारा है इस तरह शायद
जैसे बंदे ख़ुदा के होते हैं
बख़्श देना भी ठीक है लेकिन
कुछ सलीक़े अता के होते हैं
कुछ को दुनिया बिखेर देती है
कुछ परेशाँ सदा के होते हैं
वो जो हस्ती में डूब जाते हैं
उन के चर्चे बला के होते हैं
उस की फ़ितरत ही ऐसी है 'अख़्तर'
जैसे तेवर हवा के होते हैं
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