क़ुर्बतों में कोई राहत न किसी दूरी में
By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
क़ुर्बतों में कोई राहत न किसी दूरी में
जान हलकान हुई 'इश्क़ की मज़दूरी में
तुझ से अब कोई तवक़्क़ो' नहीं पर बैठे हैं
हम तिरे साया-ए-दीवार की मजबूरी में
एक बीमार तमन्ना का सहारा ले कर
तुझ तलक चलते हुए आए हैं मा'ज़ूरी में
देखने वालों ने यक-जान समझ रख्खा था
और हम साथ निभाते रहे मजबूरी में
तुम ने इस बात की गर उस से इजाज़त चाही
'उम्र लग जाएगी इस बात की मजबूरी में
इन दिनों शह्र की कुछ ऐसी फ़ज़ा है कि 'जमाल'
घर से जाते हैं निकल कर बड़ी मजबूरी में
जान हलकान हुई 'इश्क़ की मज़दूरी में
तुझ से अब कोई तवक़्क़ो' नहीं पर बैठे हैं
हम तिरे साया-ए-दीवार की मजबूरी में
एक बीमार तमन्ना का सहारा ले कर
तुझ तलक चलते हुए आए हैं मा'ज़ूरी में
देखने वालों ने यक-जान समझ रख्खा था
और हम साथ निभाते रहे मजबूरी में
तुम ने इस बात की गर उस से इजाज़त चाही
'उम्र लग जाएगी इस बात की मजबूरी में
इन दिनों शह्र की कुछ ऐसी फ़ज़ा है कि 'जमाल'
घर से जाते हैं निकल कर बड़ी मजबूरी में
29403 viewsghazal • Hindi