क़ुसूर-वार न ठहराइए ख़ुदा के लिए
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
क़ुसूर-वार न ठहराइए ख़ुदा के लिए
हमारा बोझ ज़ियादा था इस हवा के लिए
हुई वो 'इश्क़ में हालत कि मस्जिदों में तमाम
हमारा नाम पुकारा गया दु'आ के लिए
मलाल दिल में अगर कोई है तो इतना है
कि मेरी 'उम्र ज़ियादा थी उस ख़ता के लिए
खुला कि हम ही नहीं हैं गुनाहगार तिरे
क़तार-बंद हुए लोग जब सज़ा के लिए
चले तो आए हो मरने को अस्पतालों में
ज़रा सी धूल को तरसोगे नक़्श-ए-पा के लिए
ज़रा सी बात थी तुझ से मुझे मिलाना था
ये काम इतना बड़ा हो गया ख़ुदा के लिए
हमारा बोझ ज़ियादा था इस हवा के लिए
हुई वो 'इश्क़ में हालत कि मस्जिदों में तमाम
हमारा नाम पुकारा गया दु'आ के लिए
मलाल दिल में अगर कोई है तो इतना है
कि मेरी 'उम्र ज़ियादा थी उस ख़ता के लिए
खुला कि हम ही नहीं हैं गुनाहगार तिरे
क़तार-बंद हुए लोग जब सज़ा के लिए
चले तो आए हो मरने को अस्पतालों में
ज़रा सी धूल को तरसोगे नक़्श-ए-पा के लिए
ज़रा सी बात थी तुझ से मुझे मिलाना था
ये काम इतना बड़ा हो गया ख़ुदा के लिए
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