रात दिन चलता है चर्चा क्या कहें देखते हैं सब तमाशा क्या कहें सख़्त फंदा है हज़ारों साल का किस ने बिन गांठों के बाँधा क्या कहें जुगनुओं का झुण्ड मन में आ बसा है उजाला या अंधेरा क्या कहें लेने देने से हुए कितने वो ख़ुश खा गए दोनों ही धोका क्या कहें बादलों के पेड़ उग आए घने कब धनक डालेगी झोला क्या कहें बैल कोल्हू में है कब से घूमता कैसी मंज़िल कैसा रस्ता क्या कहें