रह रह के मुझे इतना सताती है उदासी
By achyutam-yadavOctober 12, 2024
रह रह के मुझे इतना सताती है उदासी
आँसू मिरी आँखों से चुराती है उदासी
तुम सोचते तो होगे कि किस के लिए आख़िर
क़ालीन इन अश्कों की बिछाती है उदासी
जब धूप मसर्रत की मुझे लगती है छूने
साए में मुझे अपने छुपाती है उदासी
हर वक़्त मुझे राएगाँ साबित किया उस ने
और देखो तो सर भी न झुकाती है उदासी
हर मोड़ पे लगता है क़ज़ा पास है अपने
इक ऐसा 'अजूबा भी दिखाती है उदासी
कहता हूँ उदासी कोई महताब नहीं है
सूरज की तरह सब को जलाती है उदासी
तक़दीर वरक़ माँगती है और फिर उस पे
ख़ुशियों से कहीं पहले बनाती है उदासी
आँसू मिरी आँखों से चुराती है उदासी
तुम सोचते तो होगे कि किस के लिए आख़िर
क़ालीन इन अश्कों की बिछाती है उदासी
जब धूप मसर्रत की मुझे लगती है छूने
साए में मुझे अपने छुपाती है उदासी
हर वक़्त मुझे राएगाँ साबित किया उस ने
और देखो तो सर भी न झुकाती है उदासी
हर मोड़ पे लगता है क़ज़ा पास है अपने
इक ऐसा 'अजूबा भी दिखाती है उदासी
कहता हूँ उदासी कोई महताब नहीं है
सूरज की तरह सब को जलाती है उदासी
तक़दीर वरक़ माँगती है और फिर उस पे
ख़ुशियों से कहीं पहले बनाती है उदासी
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